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अंशू-मिंशू दो भाई... -संजीव 'सलिल'



अंशू-मिंशू दो भाई हिल-मिल रहते थे हरदम साथ.
साथ खेलते साथ कूदते दोनों लिये हाथ में हाथ..

अंशू तो सीधा-सादा था, मिंशू था बातूनी.
ख्वाब देखता तारों के, बातें थीं अफलातूनी..

एक सुबह दोनों ने सोचा: 'आज करेंगे सैर'.
जंगल की हरियाली देखें, नहा, नदी में तैर..

अगर बड़ों को बता दिया तो हमें न जाने देंगे,
बहला-फुसला, डांट-डपट कर नहीं घूमने देंगे..

छिपकर दोनों भाई चल दिये हवा बह रही शीतल.
पंछी चहक रहे थे, मनहर लगता था जगती-तल..

तभी सुनायी दीं आवाजें, दो पैरों की भारी.
रीछ दिखा तो सिट्टी-पिट्टी भूले दोनों सारी..

मिंशू को झट पकड़ झाड़ पर चढ़ा दिया अंशू ने.
'भैया! भालू इधर आ रहा' बतलाया मिंशू ने..

चढ़ न सका अंशू ऊपर तो उसने अकल लगाई.
झट ज़मीन पर लेट रोक लीं साँसें उसने भाई..

भालू आया, सूँघा, समझा इसमें जान नहीं है.
इससे मुझको कोई भी खतरा या हानि नहीं है..

चला गए भालू आगे, तब मिंशू उतरा नीचे.
'चलो उठो कब तक सोओगे ऐसे आँखें मींचें.'

दोनों भाई भागे घर को, पकड़े अपने कान.
आज बचे, अब नहीं अकेले जाएँ मन में ठान..

धन्यवाद ईश्वर को देकर, माँ को सच बतलाया.
माँ बोली: 'संकट में धीरज काम तुम्हारे आया..

जो लेता है काम बुद्धि से वही सफल होता है.
जो घबराता है पथ में काँटें अपने बोता है..

खतरा-भूख न हो तो पशु भी हानि नहीं पहुँचाता.
मानव दानव बना पेड़ काटे, पशु मार गिराता..'

अंशू-मिंशू बोले: 'माँ! हम दें पौधों को पानी.
पशु-पक्षी की रक्षा करने की मन में है ठानी..'

माँ ने शाबाशी दी, कहा 'अकेले अब मत जाना.
बड़े सदा हितचिंतक होते, अब तुमने यह माना..'

8 टिप्पणियाँ:

kunnu said...

Rochak kavita.

सत्‍येन्‍द्र बहादुर पाल said...

सार्थक एवं प्रेरक बाल कविता है।

सत्‍येन्‍द्र बहादुर पाल said...

सार्थक एवं प्रेरक बाल कविता है।

Chaitanyaa Sharma said...

अच्छी लगी अंशू-मिंशू की क्यूट कहानी वाली कविता

रानीविशाल said...

अंशु मिंशु की कविता ने बहुत अच्छी ट्रिक सिखा दी :)
बहुत सुन्दर कविता ...नानाजी को बिलेटेड हेप्पी दीपावली ३-४ दिन बिज़ी हो गई थी ...दीपावली में मम्मी का हाथ बटाने में :D
अनुष्का

Anonymous said...

Nice potry.

Kumud

अनुष्का श्रीवास्तव said...

अंशू मिंशू को दीपावली की शुभकामनाऍं।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आचार्य संजीव सलिल जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
--
आपकी पोस्ट की चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी
की गयी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/11/28.html