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होने आई शाम है


खेल खेलना बंद करो अब, होने आई शाम है।

गोधूली की बेला आई। सूरज की है हुई बिदाई।
ग्वाल-बाल जंगल से लौटे, गायों की करते अगुवाई।

मम्मी बोलीं- तंग करो मत, देखो कितना काम है।
खेल खेलना बंद करो अब होने आई शाम है।।

बन्द हुई चिडियों की चीं-चीं। दिन ने अपनी आँखें मीचीं।
लौटे सभी घरों को अपने, तम ने हैं रेखाएँ खीचीं।

आसमान में दिखा चंद्रमा, गया रसातल घाम है।
खेल खेलना बंद करो अब, होने आई शाम है।।

पापा ने आवाज लगाई। टिंकू ने है गेंद उठाई।
बल्ला कन्धे पर रख अपने, घर के भीतर दौड़ लगाई।

तुम्हीं नहीं आ रहे, इसी से पड़ा 'घुमक्कड़' नाम है।
खेल खेलना बंद करो अब, होने आई शाम है।।

अभी तुम्हें पढ़ना है बाकी। ट्विंकल -ट्विंकल रटना बाकी।
सौ तक गिनती भी गिननी है, ए-बी-सी-डी लिखना बाकी।

ध्यान लगाओ अंकुर भैया, कल से ही 'इक्ज़ाम' है।
खेल खेलना बंद करो अब, होने आई शाम है।।
-डा0 गणेशदत्त सारस्वत
A Hindi Children Poem (Bal Geet) by Ganeshdatt Saraswat

1 टिप्पणियाँ:

admin said...

सही सलाह।

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S.B.A. TSALIIM.