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एक हवा थी खुशबू वाली, आई, आ कर चली गई ।



एक हवा थी हल्की-हल्की,
एक हवा थी भारी। 

एक हवा चुपके से आई,
एक ने धूल बुहारी। 

एक हवा थी ठंडी-ठंडी,
एक थी गरम भभूका। 

एक हवा खुशियॉं ले आई,
एक दुखों का झोंका । 

एक हवा थी खुशबू वाली,
आई, आ कर चली गई । 

एक हवा है सच्ची-सादी,
साँस साँस में बसी हुई।

-श्याम सुशील-

10 टिप्पणियाँ:

अजित गुप्ता का कोना said...

बहुत ही अच्‍छी कविता। मन मोह लिया। साँस-साँस में भर गयी। बधाई।

seema gupta said...

बहुत अच्‍छी कविता।
regards

kunnu said...

nice poem.

Chinmayee said...

बहुत सुन्दर

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सुंदर कविता

रानीविशाल said...

बहुत प्यारी रचना ...बहुत मनभायी
अनुष्का

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुन्दर...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत प्यारी रचना ...

Chaitanyaa Sharma said...

सुंदर कविता....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।

अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।

आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
--
आपकी प्यारी सी पोस्ट की चर्चा
बाल चर्चा मंच पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/11/27.html