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आलू मिर्ची चाय जी, कौन कहाँ से आये जी।

आलू मिर्ची चाय जी
कौन कहाँ से आये जी
 
- राजेश उत्साही 

सात समुंदर पार से
दुनिया के बाजार से
व्यापार से, उपहार से
जंग-लड़ाई मार से

हर रस्ते से आये जी
आलू, मिर्ची, चाय जी!

मेक्सिकन है अमरुद
मिर्ची ने जहाँ पाया रुप
दक्षिण अमेरिका में पली
आलू के साथ मूंगफली

साथ टमाटर भाये जी
आलू, मिर्ची, चाय जी!

नक्शे में यूरोप है जो भी
जन्मे हैं वहाँ मूली-गोभी
भिंडी हरी अफ्रीका की
भूरी-भूरी कॉफी भी

दुनिया भर में छाए जी
आलू, मिर्ची, चाय जी!

चीन से सोयाबीन चली
अमेरिकन को लगी भली
धूम मचा कर लौटी देश
उसमें हैं गुण कई विशेष

चाय चीन की ताई जी
आलू, मिर्ची, चाय जी !

बेंगन, सेम, करेला, कटहल
गिल्की, अदरक, टिंडा, परवल
आम, संतरा, काली मिर्ची
भाई-बहन हैं सब देशी

भारत की पैदाइश जी
कौन-कहाँ से आये जी

11 टिप्पणियाँ:

पद्म सिंह said...

वाह! बहुत खूब! ज्ञान परक रचना

Udan Tashtari said...

बढ़िया..

Sunil Kumar said...

bahut achhi aapne yah bhibata diya yah aati kahan se sampurn jankari , badahi

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर बाल रचना!
मगर अफसोच कि बच्चों के ब्लॉग पर पाठक कम आते हैं!
--
यही हाल हमारे नन्हें सुमन का भी है!
--
सरस पायस पर भी लोगों की आवाजाही कम ही है।
--
आदित्य ने तो खुन्नस खाकर ब्लॉग पर पोस्ट लगाला ही बन्द कर दिया है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर बाल रचना!
मगर अफसोच कि बच्चों के ब्लॉग पर पाठक कम आते हैं!
--
यही हाल हमारे नन्हें सुमन का भी है!
--
सरस पायस पर भी लोगों की आवाजाही कम ही है।
--
आदित्य ने तो खुन्नस खाकर ब्लॉग पर पोस्ट लगाला ही बन्द कर दिया है।

Chaitanyaa Sharma said...

मजेदार कविता

सुधाकल्प said...

कविता बहुत ही सुन्दर बन पड़ी है ।बच्चों के अनुरूप है।
यदि हम मिलकर प्रयास करें तो अवश्य एक दिन ऐसा आयेगा जब बाल ब्लांग
बच्चे भी पढेंगे ।
सुधा भार्गव

Satish Saxena said...

शुभकामनायें आप को !

Amrita Tanmay said...

Ye kavita bahut bhay jee..

Vandana Ramasingh said...

shaandar jankaari dhanyvaad

Kashvi Kaneri said...

बहुत मज़ेदार और प्यारी कविता