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नील गगन पर चमकें तारे

नील गगन पर चमकें तारे
-प्रत्‍यूष गुलेरी

नील गगन पर चमकें तारे।
सुंदर सुंदर प्‍यारे प्‍यारे।।

कभी दीखते ढ़ेरों सारे।
लगते करते खूब इशारे।।

चंदा के संग चलते रहते।
सर्दी गर्मी सहते रहते।।

भाता इनको आना जाना।
आँख झपकते झट छिप जाना।।

आँगन में हम खाट बिछाए।
देखा करते दूध नहाए।।

कठिन बड़ा है इनको गिनना।
इनसे न हो सकता मिलना।।

6 टिप्पणियाँ:

Kailash Sharma said...

बहुत प्यारा बालगीत...बहुत सुंदर

Chaitanyaa Sharma said...

बहुत ही सुंदर कविता

Vandana Ramasingh said...

प्यारी बालकविता

Pallavi saxena said...

बहुत प्यारी सुंदर बाल कविता....

amrendra "amar" said...

waah waah ,bahut sunder bal geet

drjaijairam anand said...

balman men paith kar likhaa baalgeet.rachyitaa v prastut katrtaa donon ko haardik badhaaee.
Dr jaijairam anand