गिरगिटान के भाई।
-कृष्णेश्वर डींगर
कभी पहनते कुर्ता टोपी,
कभी सूट नेक टाई।
रंग बदलने में मोटू जी,
गिरगिटान के भाई।
कभी हमारी टीम पकड़ कर,
बैट्स मैन बन जाते।
कभी हमारे ही विरोध में,
बॉलर बन कर आते।
कोई उनको कहता मोटू,
कोई कहता बबलू।
कोई उनको कहता गोलू,
मैं कहता दल-बदलू।
7 टिप्पणियाँ:
Waah Bahut khubsurat vyangya......dal badlu per....sunder rachna..........
बहुत सुन्दर कविता..मजेदार..बधाई !!
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'पाखी की दुनिया' में देखिएगा मिल्की टूथ की बातें..
bahut mazedaar rachna !!!!
बहुत सुन्दर कविता| धन्यवाद।
सुन्दर कविता
rochak kavita.
मज़ेदार कविता!!!
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