Pages

Subscribe:

Ads 468x60px

test ad

सब कहते प्यारा है बचपन, हम तो हैं बेहद हैरान।

सब कहते प्यारा है बचपन, हम तो हैं बेहद हैरान।
पापा कहते बड़ा आलसी, मम्मी कहती हैं शैतान।
पानी, चाय पहुंचना बाहर, मुझको ही दौड़ाते हैं।
बातें करते सब मिल लेकिन, मैं पूछूँ खिसियाते हैं।

कोई कहता उठो सवेरे, कोई पाठ कराया याद।
अनुशासित यदि नहीं रहोगे हो जाओग तुम बरबाद।

ये मत खाना वो मत करना, सुन सुनकर थक जाते हम।
बस्ता ट्यूशन डाँट डिसिप्लिन, क्या इनका बोझा है कम?
सब बच्चों के गीत सुनाते, अपना बचपन करते याद।
बच्चों के मन में क्या होता, कौन सुने उनकी फरियाद?

थोड़ा पढ़े, खूम हम खेलें, कुछ शैतानी भी कर लें।
घूमे फिरें हंसे बोले हम, कुछ मनमानी भी कर दें।

टॉफी, बिस्कुट और मिठाई, चाट बताशों का पानी।
अगर मना करते हो तुम सब तो मरती अपनी नानी।

क्या दादी जी ने ये सब खाए बिलकुल कभी नहीं?
या पापा ने सदा पढ़ा है, शैतानी की कभी नहीं?

खेल खेलकर पढ़ने दो, तो हम रवीन्द्र बन जाएँगे।
विद्यालय का बोझ कम करो, तो हम देश सजाएँगे।

-भालचन्द्र सेठिया-

14 टिप्पणियाँ:

सदा said...

क्या दादी जी ने ये सब खाए बिलकुल कभी नहीं?
या पापा ने सदा पढ़ा है, शैतानी की कभी नहीं?

खेल खेलकर पढ़ने दो, तो हम रवीन्द्र बन जाएँगे।
विद्यालय का बोझ कम करो, तो हम देश सजाएँगे।

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना, अनुपम प्रस्‍तुति ।

इस्मत ज़ैदी said...

ek sandesh deti hui rachana
bahut sundar!

Santosh said...

good

kunnu said...

Nice poem.

अनुष्का श्रीवास्तव said...

मजेदाल कविता।

Pratishtha said...

Shandar kavita.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अरे वाह!
बचपन का राग तो बहुत सुन्दर है!
--
इसकी चर्चा तो बाल चर्चा मंच पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/20.html

निर्मला कपिला said...

सुन्दर रचना के लिये सेठिया जी को बधाई।

Chaitanyaa Sharma said...

wah kitni pyari kavita.... sahi sahi baaten bhari....

महेन्‍द्र वर्मा said...

खेल खेल कर पढ़ने दो तो हम रवींद्र बन जाएंगे,
विद्यालय का बोझ कम करो तो हम देश सजाएंगे।
बहु ही प्यारी रचना...बालमन के शिकवे गिले के बाद उनकी सद् इच्छा भी व्यक्त की गई है...वाह, बहुत खूब।

BrijmohanShrivastava said...

बालमन की जिज्ञासा का अभूतपूर्व चित्रण

पूनम श्रीवास्तव said...

Behatareen abhivyakti.....

sadaf said...

nice poem

Archana Chaoji said...

कविता बहुत ही अच्छी लगी....बच्चों के मन की बात जानना व मानना जरूरी है ...बस जरूरत होती है उन्हे अच्छाई-व बुराई बताने की चयन करने की क्षमता भी वे रखते हैं....आभार आपका....
शुक्रिया सेठिया जी जो उन्होने बच्चों की बात रखी.....