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कब तक मैं ढ़ोऊंगा मम्मी, यह बस्ते का भार?



कब तक मैं ढ़ोऊंगा मम्मी, यह बस्ते का भार?

मन करता है तितली के पीछे मैं दौड़ लगाऊं।
चिडियों वाले पंख लगाकर अम्बर में उड़ जाऊं।

साईकिल लेकर जा पहुंचूं मैं परी–लोक के द्वार।
कब तक मैं ढ़ोऊंगा मम्मी, यह बस्ते का भार?

कर लेने दो मुझको भी थोड़ी सी शैतानी।
मार लगाकर मुझको, मत याद दिलाओ नानी।

बिस्किट टॉफी के संग दे दो, बस थोड़ा सा प्यार।
कब तक मैं ढ़ोऊंगा मम्मी, यह बस्ते का भार?


 Admin - Scientific World
 चित्र साभार-http://www.acclaimimages.com/

14 टिप्पणियाँ:

ओम आर्य said...

बहुत ही सुन्दर रचना

नीरज गोस्वामी said...

पीठ पर मासूम की लादा हुआ बस्ता हटा
दब रहीं किलकारियां हैं देख उसके भार से

नीरज

दिगम्बर नासवा said...

बिस्किट टॉफी के संग दे दो, बस थोड़ा सा प्यार।

BAAL MAN KI KOMAL BHAAVNAAON KO BAAKHOOBI SHABDON MEIN DHAALA AI AAPNE .... Badhaai

Vinashaay sharma said...

मासूम पर बस्ते का भार दरशाती आज के युग की अचछी रचना

निर्मला कपिला said...

bबहुaत सुन्दर बाल गीत है सच मे आज बस्ते का भार बच्चे से भी अधिक हो गया है आभार्

हेमन्त कुमार said...

जगजीत जी की गायी गजल याद आ गयी

बच्चों के छोटे हांथों को चांद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ करके ये हम जैसे हो जायेंगे ।
आभार ।

Rakesh Kumar said...

बहुत सुन्दर और मनमोहक प्रस्तुति है आपकी,डॉ.साहब.
आभार.

मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर और सटीक रचना .. आज कल बच्चे से ज्यादा वज़न बस्ते का होता है

मदन शर्मा said...

बहुत ही सुन्दर बाल गीत !!

चंदन कुमार मिश्र said...

मम्मियाँ कहाँ मानती हैं अब। वे तो दो साल के बच्चे को ही बचपन से दूर कर देती हैं।

Kailash Sharma said...

आज बचपन पर बस्ते का बोझ हावी होता जा रहा है...बहुत सुन्दर रचना..

Vandana Ramasingh said...

बस्ता फ्री स्कूल बन भी जाएँ तो माँ बाप के अपने सर्किल के कम्पीटिशन तो बच्चों के दिमाग पर बढते बोझ तो कम होने ही नहीं देंगे ३ साल की उम्र में विश्व के सभी देशों की राजधानी याद करवाना ढेरों कवितायें न केवल याद करवाना बल्कि उसका प्रदर्शन भी हर आने जाने वाले के सामने करवाना ....बहुत सी पीडाएं हैं ...पर आप ने इसे समझा और व्यक्त किया अच्छा लगा

Ram Swaroop Verma said...

बस्ता ! मम्मी कहती है बोझा डोने की प्रेक्टिस करवा रही हू बेटा जीवन मे संघर्ष बहुत है

Shabad shabad said...

बहुत सुन्दर बाल गीत !!