टीवी की शौकीन हमारी नानी जी।
खाती हैं नमकीन हमारी नानी जी।
जीवन बीता कभी मदरसे नहीं गयीं,
भैंस के आगे बीन हमारी नानी जी।
नाना जी परतंत्र दिखाई देते हैं,
रहती हैं स्वाधीन हमारी नानी जी।
गली मुहल्ले नुक्कड़ की अफवाहों पर,
करतीं नहीं यकीन हमारी नानी जी।
बिन साबुन पानी जाड़े के मौसम में,
होतीं ड्राई क्लीन हमारी नानी जी।
चढ़ा पेट पर सोमू तबला बजा रहा,
ताक धिना धिन धीन हमारी नानी जी।
गलत बात सुनकर गुस्से में आ जातीं,
तेज धूप में टीन हमारी नानी जी।
घर पर बैठे-बैठे खटिया ही तोड़ें,
सोचें भारत-चीन हमारी नानी जी।
जितना नया-नया नाती है गोदी में,
उतनी हैं प्राचीन हमारी नानी जी।
-यश मालवीय-
12 टिप्पणियाँ:
सच में नानी जी बहुत प्यारी हैं
कविता ही बहुत प्यारी है
यश जी की रचना पढवाने के लिए जाकिर अली जी को धन्यवाद
Mast kavita.
जीवन बीता कभी मदरसे नहीं गयीं,
भैंस के आगे बीन हमारी नानी जी।
नाना जी परतंत्र दिखाई देते हैं,
रहती हैं स्वाधीन हमारी नानी जी।
बैठी बैठी खटिया ही तोडे
भारत चीन हमारी नानी जी\ वाह वाह क्या बात है नानी जी की। बहुत अच्छी लगी कविता। यश जी को बधाई।
कित्ती प्यारी नानी जी...यश अंकल को बधाई.
बाल कविता लेखन में यश मालवीय जी का नाम अग्रगण्य है, बाल कविता के तो उस्ताद हैं वे। ग़ज़ल शैली में लिखी गई यह रचना उनकी अद्वितीय प्रतिभा का बखान करती है।...यश जी को प्रणाम और आपको साधुवाद।
बड़ी प्यारी नानी हैं यह तो.... अच्छी सी कविता....
सुन्दर कविता है!
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प्यारी नानी की पोल खोलने के लिए
हार्दिक बधाई देता हूँ!
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आपकी पोस्ट की चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी की गई है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/23.html
वाह वाह!! खूब खबर ली नानी की..बस, ध्यान रखना..कोई सुना न दे उनको, वरना...
सुनकर बातें अपने प्यारे नाती की,
जड़ती चांटे तीन हमारी नानी जी....
लिखते नजर आओगे...
जिंदगी पर रखती पैनी नज़र,
बिन कोई दूरबीन आपकी नानी जी ...
बहुत अच्छे ... लिखते रहिये ...
वाह! वाह! वाह!
बेहद उम्दा बाल कविता.....
नानी जी और कविता दोनों बहुत प्यारे हैं ...
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मेरा जन्मदिवस - २ (My Birthday II)
जाकिर भाई, कविता नानी और बच्चों जैसी ही चुलबुली और प्यारी है ।
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