छुट्टी के हैं हथकंडे,
रेनी डे भई रेनी डे।
बरखा नहीं निगोड़ी है,
गरमा गरम पकौड़ी है।
इक्के एक, न दुक्के दो
सोमू बोले छक्के छे।
पानी बरसे छम छम छम
छोड़ो भी अगड़म-बगड़म।
बड़ी-बड़ी बौछारों के
बादल बरसाता डंडे।
इन्द्रधनुष सतरंगे हैं
सपने रंग-बिरंगे हैं।
खुशियाँ मना रहे बच्चे
करते हैं हर-हर गंगे।
समझो मत ऐसे-वैसे
बरसें बूंदों के पैसे।
पर भागो क्यों पढ़ने से,
छीलो क्यों आलू-बंडे।
-यश मालवीय-
13 टिप्पणियाँ:
अच्छी पंक्तिया .................
पढ़े और बताये कि कैसा लगा :-
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_22.html
इन्द्रधनुष सतरंगे हैं
सपने रंग-बिरंगे हैं।
खुशियाँ मना रहे बच्चे
करते हैं हर-हर गंगे।
..Majedar.
सचमुच मजेदार।
मजेदार...पढ़कर मजा आ गया....
http://veenakesur.blogspot.com/
bahut mazedaar hai .
Mazedar kavita hai.
Rainyday bhai Rainy,
I like Rainy Day.
Lovely poem.
बच्चों की कविता। बच्चों की दुनिया।
मौसम के अनुकूल रचनाहै। अच्छी लगी।
पानी बरसे छम छम छम
छोड़ो भी अगड़म-बगड़म।
बड़ी-बड़ी बौछारों के
बादल बरसाता डंडे।
hah..... yeh badi pyari kavita hai...
वाह बहुत ही सुन्दर और आकर्षक बाल गीत----।
रचना बहुत ही रोचक है!
--
आपकी पोस्ट की चर्चा "बाल चर्चा मंच"
पत्रिका पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/19.html
Post a Comment