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चंदा मामा, आ जाओ, साथ मुझे कल ले जाओ


-द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी-

चंदा मामा, जाओ, साथ मुझे कल ले जाओ।

कल से मेरी छुट्टी है ना आये तो कुट्टी है।

चंदा मामा खाते लड्डू, आसमान की थाली में।
लेकिन वे पीते हैं पानी आकर मेरी प्याली में।

चंदा देता हमें चाँदनी, सूरज देता धूप।
मेरी अम्मा मुझे पिलातीं, बना टमाटर सूप।

थपकी दे-दे कर जब अम्मा, मुझे सुलाती रात में।
सो जाता चंदा मामा से, करता-करता बात मैं।


चंदा मामा, जाओ, साथ मुझे कल ले जाओ।

कल से मेरी छुट्टी है ना आये तो कुट्टी है।

चंदा मामा खाते लड्डू, आसमान की थाली में।
लेकिन वे पीते हैं पानी आकर मेरी प्याली में।

चंदा देता हमें चाँदनी, सूरज देता धूप।
मेरी अम्मा मुझे पिलातीं, बना टमाटर सूप।

थपकी दे-दे कर जब अम्मा, मुझे सुलाती रात में।
सो जाता चंदा मामा से, करता-करता बात मैं।

8 टिप्पणियाँ:

Saiyed Faiz Hasnain said...

चंदा मामा खाते लड्डू, आसमान की थाली में।
लेकिन वे पीते हैं पानी आकर मेरी प्याली में।

aapne bachpan ki yaad dila di ......

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर बाल गीत बधाई

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर बाल गीत बधाई

दिगम्बर नासवा said...

चंदा मामा खाते लड्डू, आसमान की थाली में।
लेकिन वे पीते हैं पानी आकर मेरी प्याली में

सच ही बहुत भोले मन से लिखा bhola bhaala baal गीत............

Arshia Ali said...

Sundar geet.
{ Treasurer-S, T }

अमिताभ मीत said...

बहुत सुन्दर.

Sudhir (सुधीर) said...

सुंदर ! बाल कल्पित अभिव्यक्ति । साधू!!

Anonymous said...
This comment has been removed by the author.