तानसेन की तरह गा रहे, नया तराना शान से।
हम किरणों जैसा चमकाते, कण कण के इतिहास को।
हम विलास को छोड़ मोड़ते, वैभवपूर्ण विलास को।
हमने अपने रथ के घोड़े, रक्खे हरदम तान के।
भाग्य बनाते अपने सबके, बंजर रेगिस्तान के।
तानसेन की तरह गा रहे, नया तराना शान से।
शीत चाँदनी जैसे हम हैं, पूर्णमासी लक्ष है।
नहीं अमावस्या में अटके, मंजिल दूर समक्ष है।
गीता गायन करते रहते, कर्म प्रमुखता मान के।
तानसेन की तरह गा रहे, नया तराना शान से।
हम किरणों जैसा चमकाते, कण कण के इतिहास को।
हम विलास को छोड़ मोड़ते, वैभवपूर्ण विलास को।
हमने अपने रथ के घोड़े, रक्खे हरदम तान के।
भाग्य बनाते अपने सबके, बंजर रेगिस्तान के।
तानसेन की तरह गा रहे, नया तराना शान से।
शीत चाँदनी जैसे हम हैं, पूर्णमासी लक्ष है।
नहीं अमावस्या में अटके, मंजिल दूर समक्ष है।
गीता गायन करते रहते, कर्म प्रमुखता मान के।
तानसेन की तरह गा रहे, नया तराना शान से।
6 टिप्पणियाँ:
बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती
अच्छा गीत चुनकर लाये हैं, आभार.
सुन्दर बाल गीत के लिये धन्यवाद
बहुत अच्छा लगा आपका यह गीत.
हमने अपने रथ के घोड़े, रक्खे हरदम तान के।
भाग्य बनाते अपने सबके, बंजर रेगिस्तान के।
......
baal mann ko moti se lafzon me piro diya
बहुत बढ़िया गीत चुनकर लाये हैं, धन्यवाद.
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