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बाल दिवस त्यौहार हमारा, हम तो इसे मनाएंगे।

बाल दिवस त्यौहार हमारा, हम तो इसे  मनाएंगे।
चाचा नहेरू जैसा बनकर, जग में नाम कमाएंगे।।

आज  हमें पूरी  आजादी, करना कोई  काम नहीं,
    लेकिन हमें मुफ्त में फिरभी करना है आराम नहीं,

हमें पता  है बीते  दिन ये, लौट  कभी न आएंगे।
    चाचा नहेरू जैसा बनकर, जग में नाम कमाएंगे।।

सत्य - अहिंसा के पथ पर,  हमको बढ़ते रहना है,
    आंधी -तूफानों  से हमको, नहीं जरा भी डरना है,

पंचशील  सिद्धांत की हम, जग में  धूम  मचाएंगे।
    चाचा नहेरू जैसा बनकर, जग में नाम कमाएंगे।।

बच्चा  हमें आप मत  समझें, हम अभिमन्यु वीर हैं,
    शक्ति भरत सी तन के अंदर, ध्रुव से हम गंभीर हैं,

’सोने की चिड़िया’ भारत को, फिर से हमीं बनाएंगे।
    चाचा नहेरू जैसा बनकर, जग में नाम कमाएंगे।।
-जाकिर अली 'रजनीश'-

10 टिप्पणियाँ:

वीना श्रीवास्तव said...

बहुत अच्छा लिखा है...काश हममें थोड़ा-सा भी अंश उनका आ पाता...बधाई आपको

http://veenakesur.blogspot.com/

संजय कुमार चौरसिया said...

sundae lekhan

महेन्‍द्र वर्मा said...

बच्चा हमें आप मत समझें, हम अभिमन्यु वीर हैं,
शक्ति भरत सी तन के अंदर, ध्रुव से हम गंभीर हैं,
बहुत सुंदर बालगीत। इसमें गेयता है और अच्छे संदेश भी...बधाई रजनीश जी।

Meenu Khare said...

सुंदर बालगीत। बहुत अच्छा लिखा है.

Chaitanyaa Sharma said...

वाह कितना सुंदर बाल गीत .... थैंक यू जाकिर अंकल

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर रचना से पोस्ट सजाई है आपने!
--
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
--
आपकी पोस्ट की चर्चा तो बाल चर्चा मंच पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/11/28_15.html

Qudsiya Khanam said...

बहुत प्‍यारी कविता है।

रानीविशाल said...

वाह ! बहुत सुन्दर प्रस्तुति ....आभार
अनुष्का

रानीविशाल said...

वाह ! बहुत सुन्दर प्रस्तुति ....आभार
अनुष्का

Mohd Aamir said...

GOOD POEM.