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दूध का कमाल Doodh Ka Kamaal

दूध का कमाल



पीकर गरम-गरम दुद्धू,
बुद्धू नहीं रहा बुद्धू।


खुले अकल के ताले सब,
नहीं अकल के लाले अब।


सुनकर अब अटपटे सवाल,
खड़े न होते सिर के बाल।


हर जबाब अब उसके पास,
सब उससे कहते शाबाश।

-नागेश पांडेय 'संजय'  

8 टिप्पणियाँ:

Shah Nawaz said...

Waah!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया!
--
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
--
हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

SANDEEP PANWAR said...

दूध का कमाल।

Pallavi saxena said...

सही है, आपकी इस रचना से एक पूराना विज्ञापन याद आज्ञा आपने भी देखा और सुना होगा। पियो ग्लास फुल्ल दूध धूध है मस्ती in every season पियो दूध for healthy reason....
बढ़िया.....
कभी समय मिले तो आएगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/

रुनझुन said...

अच्छी कविता....सिंडी दिवस की हार्दिक बधाई!!!

Maheshwari kaneri said...

अच्छी कविता...

Vandana Ramasingh said...

बच्चों को सुना कर दूध पीने के लिए मनाया जा सकता है ....अच्छी रचना

virendra sharma said...

दूध पियो भई दूध ,दूध की महिमा अपरम्पार ,सुन्दर बाल गीत दुद्ध बनाए बुद्ध ,....एक लीटर दूध पियो रोज़- बा -राज़ मोटापा भगाओ ,बेटे बुद्ध .बनो प्रबुद्ध .