आया राखी का त्यौहार
डॉ0 देशबंधु शाहजहाँपुरी
खुशियों का लेकर उपहार
आया राखी का त्यौहार।
जूही ने गेंदा, गुलाब के,
तिलक लगा आशीष दिया।
तब तक खुश्बू बिखराना तुम,
जब तक चली न जाए बहार।
होठों पर मुस्कान बिछाकर,
बहनें बाँध रहीं राखी।
नहीं चाहिए उनको कुछ भी,
केवल माँगें प्यार-दुलार।
प्यारे भइया जग-सागर में,
खेना तुम रक्षा की नाव।
दुख की भंवर मिले यदि कोई,
छोड़ न देना तुम पतवार।
13 टिप्पणियाँ:
बहुत बहुत आभार भाई रजनीश जी ...
नहीं चाहिए उनको कुछ भी,
केवल माँगें प्यार-दुलार।
बिलकुल सच है
बहुत ख़ूब !
sundar mazedar...
बहुत सुंदर... हैप्पी राखी ....
बहुत ही प्यारी कविता... रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएँ..!!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
श्रावणी पर्व और रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत प्यारी और सुन्दर रचना...
बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाये...
:-)
सुन्दर प्रस्तुति......
शानदार प्यारी प्यारी सी प्रस्तुति.
होठों पर मुस्कान बिछाकर,
बहनें बाँध रहीं राखी।
नहीं चाहिए उनको कुछ भी,
केवल माँगें प्यार-दुलार।
जाकिर भाई बहुत सुन्दर सन्देश ....काश सब ऐसा ही सोचें और बहनों को भरपूर प्यार सम्मान दें
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
बहुत सुन्दर.....कोमल सी अभिव्यक्ति..
अनु
बहुत खूबसूरत.
पहली बार आपके इस ब्लॉग पर आना हुआ .......बहुत प्यारा ब्लॉग है साथ ही इसका आवरण भी और रचनाएँ भी !
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