Pages

Subscribe:

Ads 468x60px

test ad

आया राखी का त्‍यौहार

 
आया राखी का त्‍यौहार 
डॉ0 देशबंधु शाहजहाँपुरी 

खुशियों का लेकर उपहार
आया राखी का त्‍यौहार। 

जूही ने गेंदा, गुलाब के, 
तिलक लगा आशीष दिया। 

तब तक खुश्‍बू बिखराना तुम, 
जब तक चली न जाए बहार। 

होठों पर मुस्‍कान बिछाकर, 
बहनें बाँध रहीं राखी। 

नहीं चाहिए उनको कुछ भी, 
केवल माँगें प्‍यार-दुलार। 

प्‍यारे भइया जग-सागर में, 
खेना तुम रक्षा की नाव। 

दुख की भंवर मिले यदि कोई, 
छोड़ न देना तुम पतवार।

13 टिप्पणियाँ:

Dr.Deshbandhu "Shahjahanpuri" said...

बहुत बहुत आभार भाई रजनीश जी ...

इस्मत ज़ैदी said...

नहीं चाहिए उनको कुछ भी,
केवल माँगें प्‍यार-दुलार।
बिलकुल सच है
बहुत ख़ूब !

शारदा अरोरा said...

sundar mazedar...

Chaitanya Sharma said...

बहुत सुंदर... हैप्पी राखी ....

रुनझुन said...

बहुत ही प्यारी कविता... रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएँ..!!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
श्रावणी पर्व और रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत प्यारी और सुन्दर रचना...
बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाये...
:-)

निवेदिता श्रीवास्तव said...

सुन्दर प्रस्तुति......

Rakesh Kumar said...

शानदार प्यारी प्यारी सी प्रस्तुति.

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

होठों पर मुस्‍कान बिछाकर,
बहनें बाँध रहीं राखी।

नहीं चाहिए उनको कुछ भी,
केवल माँगें प्‍यार-दुलार।
जाकिर भाई बहुत सुन्दर सन्देश ....काश सब ऐसा ही सोचें और बहनों को भरपूर प्यार सम्मान दें
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर.....कोमल सी अभिव्यक्ति..

अनु

डॉ. जेन्नी शबनम said...

बहुत खूबसूरत.

Sonroopa Vishal said...

पहली बार आपके इस ब्लॉग पर आना हुआ .......बहुत प्यारा ब्लॉग है साथ ही इसका आवरण भी और रचनाएँ भी !