-सुरेश विमल-
बढ़ा-बढ़ा नाखून, चबाना उन्हें दांत से, छी: छी:
बड़-बड़े बालों में पंजें डाल खुजाना, छी: छी:
केले खाकर छिलके देना फेंक सड़क पर, छी: छी:
मक्खी भरे खोमचों से खा लेना चीजें, छी: छी:
मैले कपड़े पहन घूमना नहीं नहाना, छी: छी:
दातुन-कुल्ला किए बिना ही बिस्कुट खना, छी: छी:
धूल भरी गलियों में जाकर दौड़ लगाना, छी: छी:
गंदे पानी में कागज की नाव चलाना, छी: छी:
5 टिप्पणियाँ:
बहुत ही अच्छी बाल कविता है , बधाई !!
बिना टिप्पणी किए भागना, छी: छीः
कविता भी उपदेश भी.
चलिये एक ब्लाग, बच्चों के लिये मिला. कविता अच्छी लगी.
vaah .. bahoot hi sundar baal rachna hai ...
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