Pages

Subscribe:

Ads 468x60px

test ad

बढ़ा-बढ़ा नाखून, चबाना उन्हें दांत से, छी: छी:



-सुरेश विमल-

बढ़ा-बढ़ा नाखून, चबाना उन्हें दांत से, छी: छी:
बड़-बड़े बालों में पंजें डाल खुजाना, छी: छी:

केले खाकर छिलके देना फेंक सड़क पर, छी: छी:
मक्खी भरे खोमचों से खा लेना चीजें, छी: छी:

मैले कपड़े पहन घूमना नहीं नहाना, छी: छी:
दातुन-कुल्ला किए बिना ही बिस्कुट खना, छी: छी:

धूल भरी गलियों में जाकर दौड़ लगाना, छी: छी:
गंदे पानी में कागज की नाव चलाना, छी: छी:

5 टिप्पणियाँ:

Kusum Thakur said...

बहुत ही अच्छी बाल कविता है , बधाई !!

Udan Tashtari said...

बिना टिप्पणी किए भागना, छी: छीः

पंकज said...

कविता भी उपदेश भी.

Anonymous said...

चलिये एक ब्लाग, बच्चों के लिये मिला. कविता अच्छी लगी.

दिगम्बर नासवा said...

vaah .. bahoot hi sundar baal rachna hai ...