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दादीजी का चश्मा खोया

दादीजी का चश्मा



दादीजी का चश्मा खोया,
सबकी आफत आई.

सब मिल खोज रहे हैं फिर भी
पड़ा नहीं दिखलाई.

दादी अपने सर पर देखो,
मीना जब चिल्लाई.

राम राम फिर गजब हो गया

7 टिप्पणियाँ:

निर्मला कपिला said...

बहुत बढिया बाल रचना। बधाई।

Kashvi Kaneri said...

बहुत सुन्दर...मेरी दादी का भी येसे ही चश्मा खोजाता है....

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छा बाल गीत!

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर बाल गीत...

Anonymous said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

Dsr.Amit Verma said...

बहुत सुन्दर...

डॉ. नागेश पांडेय संजय said...

बद्रीनाथ गया था , तभी इस रचना को देर से देख पाया . .आप सहित .... सभी को धन्यवाद .

आना मेरे गाँव , तुम्हे मैं
दूँगी फूल कनेर के