कर दो जी हड़ताल
-योगेन्द्र कुमार लल्ला-
कर दो जी, कर दो हड़ताल, पढ़ने लिखने की हो टाल।
बच्चे घर पर मौज मनाऍं, पापा मम्मी पढ़ने जाऍं।
मिट जाए जी का जंजाल, कर दो जी, कर दो हड़ताल।
जो न माने हमारी माने बात, उसके बॉंधों कस कर हाथ।
कर उसको घोटम घोट, पहनाकर केवल लंगोट।
भेजो उसको नैनीताल, कर दो जी, कर दो हड़ताल।
राशन में भी करो सुधार, रसगुल्लों की हो भरमार।
दो दिन में कम से कम एक, मिले बड़ा सा मीठा केक।
लडडू हो जैसे फुटबाल, कर दो जी, कर दो हड़ताल।
हम भी अब जाऍंगे दफतर, बैठेंगे कुरसी पर डटकर।
जो हमको दे बिस्कुट टॉफी, उसको सात खून की माफी।
अपना है बस यही सवाल, कर दो जी, कर दो हड़ताल।
5 टिप्पणियाँ:
वाह आज कल बड़ी मौज मस्ती के मूड में हैं
सुंदर बालगीत ..
लल्ला जी, आप बालमन के कुशल पारखी हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत बढिया, एक दिन तो बच्चों को भी मौका मिलना चाहिए।
Lallaji
Where are you?I am son of your deceased old friend Girish Chandra Gautam .I am in TCS Delhi .please contact me at 9899301971 or vivekgautam3@gmail.com
Any other person knowing the contact details of Shri Lalla please give.
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