-रोहिताश्व अस्थाना
जिंदगी हंसकर बिताना चाहिए।
चुटकुले सुनना-सुनाना चाहिए।
रात-दिन आँसू बहाने से भला,
फूल बनकर मुस्कराना चाहिए।
चाट का ठेला खड़ा है सामने,
आज कुछ खाना-खिलाना चाहिए।
आ गया इतवार, पापा जी हमें,
आज तो सरकस घुमाना चाहिए।
एक सीमा तक करें शैतानियाँ,
ना किसी का दिल दुखाना चाहिए।
मास्टरजी हम पढ़ेंगे शौक से,
पर खिलौने कुछ दिलाना चाहिए।
देश को खुशहाल रखना है अगर,
हमको संसद में बिठाना चाहिए।
जिंदगी हंसकर बिताना चाहिए।
चुटकुले सुनना-सुनाना चाहिए।
रात-दिन आँसू बहाने से भला,
फूल बनकर मुस्कराना चाहिए।
चाट का ठेला खड़ा है सामने,
आज कुछ खाना-खिलाना चाहिए।
आ गया इतवार, पापा जी हमें,
आज तो सरकस घुमाना चाहिए।
एक सीमा तक करें शैतानियाँ,
ना किसी का दिल दुखाना चाहिए।
मास्टरजी हम पढ़ेंगे शौक से,
पर खिलौने कुछ दिलाना चाहिए।
देश को खुशहाल रखना है अगर,
हमको संसद में बिठाना चाहिए।
8 टिप्पणियाँ:
वाह बहुत सुन्दर सन्देश देती बाल रचना है बधाई
Pyari kavita
Lajawab kar diya.
Nice poem
बहुत ही शिक्षाप्रद कविता
अरे वाह आपका ये ब्लॉग भी कितना खूबसूरत है ।
Beautiful...!!
KAVITA ACHCHHI HAI AAP KO BADHAI
Post a Comment