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फूल बनकर मुस्कराना चाहिए


-रोहिताश्व अस्थाना

जिंदगी हंसकर बिताना चाहिए।
चुटकुले सुनना-सुनाना चाहिए।

रात-दिन आँसू बहाने से भला,
फूल बनकर मुस्कराना चाहिए।

चाट का ठेला खड़ा है सामने,
आज कुछ खाना-खिलाना चाहिए।

आ गया इतवार, पापा जी हमें,
आज तो सरकस घुमाना चाहिए।

एक सीमा तक करें शैतानियाँ,
ना किसी का दिल दुखाना चाहिए।

मास्टरजी हम पढ़ेंगे शौक से,
पर खिलौने कुछ दिलाना चाहिए।

देश को खुशहाल रखना है अगर,
हमको संसद में बिठाना चाहिए।

8 टिप्पणियाँ:

निर्मला कपिला said...

वाह बहुत सुन्दर सन्देश देती बाल रचना है बधाई

Kunnu said...

Pyari kavita

Sant Ji said...

Lajawab kar diya.

Lovely Singh said...

Nice poem

राकेश 'सोहम' said...

बहुत ही शिक्षाप्रद कविता

Asha Joglekar said...

अरे वाह आपका ये ब्लॉग भी कितना खूबसूरत है ।

Akshitaa (Pakhi) said...

Beautiful...!!

ramesh sant said...

KAVITA ACHCHHI HAI AAP KO BADHAI