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नई कहानी

- ज़ाकिर अली 'रजनीश'
अब्बक – डब्बक टम्मक – टूं नाचे गु‍डिया रानी।
आसमान में छेद हो गया, बरसे झम–झम पानी।
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुन लो नई कहानी।।

थोड़ा सा हम शोर मचाएं, थोड़ा हल्ला – गुल्ला।
हम चाहे तो लड्डू खाएं, हम चाहे रसगुल्ला।

लेकिन ध्यान रहे न ज़्यादा, हो जाए शैतानी।
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुन लो नई कहानी।।

हम चाहें तो चंदा पर जाकर झंडा फहराएं।
हम चाहें तो शेरों के भी दांतों को गिन आएं।

हूई बात पूरी वो, जो है मन में हमने ठानी।
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुन लो नई कहानी।।

परी कहां अब दुनिया में हैं कम्प्यूटर की बातें।
दिन बीतें धरती पर अपने, और चंदा पर रातें।

हम राजा, हम रानी, अपनी चले यहां मनमानी।
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुन लो नई कहानी।।

10 टिप्पणियाँ:

Divine India said...

वाहSSSSSSSSSSSS जनाब बस मजा ही आ गया…
4-5 बार पढ़ा मन नहीं भरा जटिलता से बहुत दूर लेकर गये बस रोमांचित कर दिया भाई…।

रश्मि प्रभा... said...

lekin mele paachh abhi bhi paliyaan hain bachchon ... bahut hi chintawali rachna

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बढ़िया बाल गीत

रुनझुन said...

वाह! बहुत ही प्यारी कविता...थैंक्यू !!!

Rakesh Kumar said...

आपके प्यारे गीत ने तो मस्त कर दिया है.
लगा जैसे बचपना ही लौट आया है.

मदन शर्मा said...

बहुत ही सुन्दर बाल गीत !!!!

Vandana Ramasingh said...

अब्बक – डब्बक टम्मक – टूं नाचे गु‍डिया रानी।
आसमान में छेद हो गया, बरसे झम–झम पानी।
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुन लो नई कहानी।।


बहुत बढ़िया शब्दावली मज़ा आ गया यह बालगीत पढकर

http://vandana-nanhepakhi.blogspot.com/2011/09/blog-post_10.html

Ram Swaroop Verma said...

क्या……! शब्द सरचना ……… कमाल है…… शुक्रिया।

Shabad shabad said...

मज़ा आ गया....
बहुत ही सुन्दर बाल गीत !!

अभिषेक मिश्र said...

परी कहां अब दुनिया में हैं कम्प्यूटर की बातें।
दिन बीतें धरती पर अपने, और चंदा पर रातें।

इसी नई कहानी की जरुरत है.

एक उभरती युवा प्रतिभा