-अनन्त कुशवाहा
अक्का बक्का तीन तलैया, जो जीते वह मेरा भैया।
दौड़ो, पीपल छूकर आओ, आकर मुझसे हाथ मिलाओ।
आज गुरू जी से जो सीखा, पूरा-पूरा पाठ सुनाओ।
बबलू, वसुधा, राम, कन्हैया। अक्का बक्का तीन तलैया।
सूरज लो सिर पर चढ़ आया, चलो वहाँ है ठंढी छाया।
गोल गोलाई में बैठो सब, नाचेगी अब नन्हीं माया।
छम-छम, छम–छम ताता–थैया। अक्का बक्का तीन तलैया।
हरे खेत पर उजली चादर, चादर पर नीला सा चक्कर।
सबसे ऊपर नारंगी सा, रंग लगा है सुन्दर–सुन्दर।
जो बूझे वह रूप रूपैया। अक्का बक्का तीन तलैया।
सबसे प्यारा अपना देश, और देश का यह परिवेश।
बच्चो, इसको याद रखो तो, और नहीं कुछ कहना शेष।
जय भारत, जय धरती मैया। अक्का बक्का तीन तलैया।
अक्का बक्का तीन तलैया, जो जीते वह मेरा भैया।
दौड़ो, पीपल छूकर आओ, आकर मुझसे हाथ मिलाओ।
आज गुरू जी से जो सीखा, पूरा-पूरा पाठ सुनाओ।
बबलू, वसुधा, राम, कन्हैया। अक्का बक्का तीन तलैया।
सूरज लो सिर पर चढ़ आया, चलो वहाँ है ठंढी छाया।
गोल गोलाई में बैठो सब, नाचेगी अब नन्हीं माया।
छम-छम, छम–छम ताता–थैया। अक्का बक्का तीन तलैया।
हरे खेत पर उजली चादर, चादर पर नीला सा चक्कर।
सबसे ऊपर नारंगी सा, रंग लगा है सुन्दर–सुन्दर।
जो बूझे वह रूप रूपैया। अक्का बक्का तीन तलैया।
सबसे प्यारा अपना देश, और देश का यह परिवेश।
बच्चो, इसको याद रखो तो, और नहीं कुछ कहना शेष।
जय भारत, जय धरती मैया। अक्का बक्का तीन तलैया।
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