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चंदा मामा, चंदा मामा, मामी जी कब लाओगे?


-सूर्यभानु गुप्त-

चंदा मामा, चंदा मामा, मामी जी कब लाओगे?
दूध-भात भांजों का अपने, बोलो कब तक खाओगे?

चंदा मामा, चंदा मामा, लगते कितने प्यारे हो।
लेकिन यह बतलाओ अब तक, तुम क्यों भला कुंवारे हो।

चंदा मामा, चंदा मामा, मानो बात हमारी भी।
ब्याह रचाओ, मामी लाओ, किरणों की फुलवारी सी।

चंदा मामा, चंदा मामा, मामी जी जब आएंगी।
आकर रोज तुम्हारी खातिर, पूड़ी-खीर बनाएंगी।

चंदा मामा, चंदा मामा, हम राकेट में आएंगे।
मामी के हाथों की आकर, पूड़ी-खीर उड़ाएंगे।

4 टिप्पणियाँ:

Mithilesh dubey said...

अब बस भी करो मामी अब आ भी जाओ । कब आओगी..........?

दिगम्बर नासवा said...

चंदा मामा, चंदा मामा, मानो बात हमारी भी।
ब्याह रचाओ, मामी लाओ, किरणों की फुलवारी सी..

MANMOHAK BAAL GEET HAI ....

निर्मला कपिला said...

चंदा मामा, चंदा मामा, मानो बात हमारी भी।
ब्याह रचाओ, मामी लाओ, किरणों की फुलवारी सी..
कया कमाल की बाल कविता है बधाई

Sambhav said...

बहुत खूब अब चांद पर पानी तो मिल ही गया है, दावत आसान हो गयी है.