Pages

Subscribe:

Ads 468x60px

test ad

अक्ल की खोज


-डा0 राष्ट्रबंधु

भैया 'अकल' कहाँ मिलती है?

परेशान हैं बहुत पिताजी। मुझसे हैं हैरान गुरूजी।
मुझे चिढ़ाते मेरे साथी। अकल नहीं है सब्जी-भाजी।
क्या गोली जैसी पिलती है? भैया 'अकल' कहाँ मिलती है?

सब कहते हैं अकल नहीं है। क्या उसकी दूकान कहीं है?
सब कहते दिमाग में खोजो। चोर बजारी अरे यहीं है।
तलुओं की चमड़ी छिलती है। भैया 'अकल' कहाँ मिलती है?

मेहनत होती टाँय-टाँय फिस्स। थक जाने पर होती है रिश।
रिश्वत कितनी देनी पड़ती। किसकी चलती वहाँ सिफारिश।
सिर की यह दुनिया हिलती है। भैया 'अकल' कहाँ मिलती है?

मीटर से क्या नापी जाती। अन्दाजन क्या आँकी जाती।
किसी तराजू पर तुलती है। परमिट से क्या टाँकी जाती?
सबकी जो किस्मत खुलती है। भैया 'अकल' कहाँ मिलती है?

1 टिप्पणियाँ:

admin said...

मजेदार खोज।

----------
S.B.A. TSALIIM.