Pages

Subscribe:

Ads 468x60px

test ad

रेल के डिब्बे में


–मो0 अरशद खान

राजू है हैरान रेल के डिब्बे में।
पूरा हिन्दुस्तान रेल के डिब्बे में।

एक सीट पर पण्डित जी हैं, और बगल में मुल्ला।
दूजी पर सरदार महाशय, खाते हैं रसगुल्ला।

जैन, बौद्ध, क्रिस्तान, रेल के डिब्बे में।
पूरा हिन्दुस्तान रेल के डिब्बे में।।

कोई बोले हिन्दी, कोई उर्दू में बतलाता।
अंग्रेजी–कन्नड़–मलयालम, कोई तमिल सुनाता।

सबका है सम्मान, रेल के डिब्बे में।
पूरा हिन्दुस्‍तान, रेल के डिब्बे में।।

दो क्षण के इस हेल–मेल में, जुड़ जाते हैं नाते।
वही बिछड़ने पर आँखों में, दो आँसू दे जाते।

बना एकता–धाम, रेल के डिब्बे में।
पूरा हिन्दुस्तान, रेल के डिब्बे में।।

1 टिप्पणियाँ:

swati prakash garg said...

बच्चों की नज़र से रेल को दिखाती मनभावन कविता.