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रात हो गई


आसमान की छत पर देखो, तारों की बरसात हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई।

चूँ–चूँ करती चिडिया सोई, दानों के सपनों में खोई।
ऊंघ रहे बरगद दादा भी, पत्ता हिल न रहा है कोई।

कब तक टीवी देखोगे तुम, यह तो गंदी बात हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई।

घड़ी देख लो, रक्खी आगे, समय बहुत तेजी से भागे।
इतना छोटा बच्चा कोई, क्या पड़ोस में अब तकजागे?

पर जो इसकी आदत डालें, समझो उसकी मातहो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई।

यही रीतियदि पड़ जाएगी, नींद न जल्दी फिर आएगी।
उधर सुबह होते ही मम्मी, बन अलार्मतुमको जगाएगी।

बिगड़ा मूड, समझ लो दिन की, कुढ़न भरी शुरूआत हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई।

आ पहुंचेगा रिक्शेवाला, होगा फिर अच्छा घोटाला।
जब तक तुमने जूते ढ़ूंढे, खो जाऐगा मोजा काला।

इसको पाया, उसको खोया, यही रोज की बात हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई।

बस्ता लेकर तुम भागोगे, सीढ़ी पर जब पहूँचे होगे।
अरे, टिफिन तो लिया नहीं है, झुंझलाहट होगी, लौटेगे।

सोचो तो, गड़बड़झाले की यह पूरी बारात हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई।
–उषा यादव
A Hindi Children Poem (Bal Geet) by Usha Yadav

2 टिप्पणियाँ:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Sundar.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Kanan Sugandha said...

Is Ms Usha Yadav an Army wife? Has she worked in APS Udhampur? If yes then please complement her on this lovely poem. Iam Kanan Gautam and an old colleague of hers in Udhampur. My class third students are going to prepare this poem for the next class assembly. thanx Mrs Yadav.