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दूध का कमाल Doodh Ka Kamaal

दूध का कमाल



पीकर गरम-गरम दुद्धू,
बुद्धू नहीं रहा बुद्धू।


खुले अकल के ताले सब,
नहीं अकल के लाले अब।


सुनकर अब अटपटे सवाल,
खड़े न होते सिर के बाल।


हर जबाब अब उसके पास,
सब उससे कहते शाबाश।

-नागेश पांडेय 'संजय'