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...वो कुंभकरन की पोती है।

एक कहानी कहनी है
-सुशील शुक्‍ल

एक कहानी कहनी है
वो जो आम की टहनी है

वहीं कहीं एक तोती है
जो दिन भर बस सोती है

दिन में कभी जगा दो तो
बड़ी देर तक रोती है

सभी परिन्‍दे कहते हैं
वो कुंभकरन की पोती है।

15 टिप्पणियाँ:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया।
------
कल 09/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Pallavi saxena said...

वाह, बढ़िया है... समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/

S.N SHUKLA said...

ख़ूबसूरत रचना , सुन्दर प्रस्तुति , बधाई

Sunil Kumar said...

बहुत बढ़िया, बधाई......

Anonymous said...

Hm ,.. nice post ,... if you have some time you can look mine too http://www.google.com

Vandana Ramasingh said...

वाह शानदार .....

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Pyari Si baal rachna...

डॉ. नागेश पांडेय संजय said...

निश्चय ही सुशील भाई की यह रचना बाल कविताओं की भीड़ से अलग बड़े ही मौलिक अंदाज में एक नए चिंतन को अभिव्यक्त करती है. मेरी हार्दिक बधाई .

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

भाई सुशील की यह कविता उनकी दूसरी कविताओं तरह ही ताजी हवा के झोंके जैसी है ।

दिगम्बर नासवा said...

बढ़िया बाल रचना है ..

virendra sharma said...

सारे पक्षी कहतें हैं -वह कुम्भकरण की पोती है(इतिहास को कहाँ खंगालने की ज़रुरत थी ,कहा होता वह मनमोहन की पोती है ).बहर सूरत सुन्दर बाल गीत अर्थ पूर्ण .
शनिवार, १० सितम्बर २०११
अब वो अन्ना से तो पल्ल्ला छुडा रहें हैं .
.

Patali-The-Village said...

ख़ूबसूरत बाल रचना|

monali said...

Thank u for making me smile.. cute lines... reminded me of ol da nursery rhymes :)

सुधाकल्प said...

Bahut achchhii Baal kavita.
Sudha Bhargava

Dr jaijairam anand said...

bharteey mithak kaa sateek prayog
nayee bhavbhumi par sundar shishugeet.
rachnaakar v prastut kartaa dono ko bahut bahut badhaaee.
Dr jaijairam anand