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...गई पाँच के चक्‍कर में फिर दस हज़ार की गड्डी!

-डॉ0 मोहम्‍मद अरशद खान
 
बीच सड़क पर दिया दिखाई
पड़ा पाँच का सिक्‍का।
 
भालूमल जी लगे उठाने,
वहीं रोक कर इक्‍का।
 
हुई हड़बड़ी संभल न पाए,
फिसले टूटी हड्डी।
 
गई पाँच के चक्‍कर में फिर,
दस हज़ार की गड्डी।

9 टिप्पणियाँ:

रुनझुन said...

गई पाँच के चक्कर में फिर दस हज़ार की गड्डी...हा-हा-हा...मज़ेदार कविता!... थैंक्यू अंकल!!!

S.N SHUKLA said...

क्या बात है जाकिर भाई , कम शब्दों में बहुत बड़ा सन्देश

नीरज मुसाफ़िर said...

बहुत बढिया प्रस्तुति

vidhya said...

बहुत बढिया
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

दिगम्बर नासवा said...

बातों ही बातों में सुन्दर बाल रचना बना दी आपने ...

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच

Arun sathi said...

yahi to ho raha hai har jagah...

virendra sharma said...

मन बहलाता मनभावन बालगीत .सुन्दर ,मनोहर ,मज़ेदार .. .कृपया यहाँ भी http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/पधारें -
http://veerubhai1947.blogspot.com/
.

virendra sharma said...

बात की बात
खुराफ़ात की खुराफ़ात

बेरिया का पत्‍ता
सवा सत्रह हाथ
उसपे ठहरी बारात

मच्‍छर ने मारी एड़
तो टूट गया पेड़

पत्‍ता गया मुड़
बारात गई उड़। सार्थक मनोरंजक ग्यान्संवर्धक बाल गीत ,शुक्रिया जाकिर भाई .

Thursday, August 11, 2011
Music soothes anxiety, pain in cancer "पेशेंट्स "
.http://veerubhai1947.blogspot.com/ ( सरकारी चिंता राम राम भाई पर )

http://sb.samwaad.com/
ऑटिज्‍म और वातावरणीय प्रभाव। Environment plays a larger role in autism.
Posted by veerubhai on Wednesday, August 10
Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Otizm, आटिज्‍म, स्वास्थ्य चेतना
ram ram bhai

बुधवार, १० अगस्त २०११
सरकारी चिंता .