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बारात गई उड़!

Comrade Safdar.
मच्‍छर पहलवान
-सफ़दर हाशमी

बात की बात
खुराफ़ात की खुराफ़ात
 
बेरिया का पत्‍ता
सवा सत्रह हाथ
 उसपे ठहरी बारात
 
मच्‍छर ने मारी एड़
तो टूट गया पेड़
 
 पत्‍ता गया मुड़
 बारात गई उड़।

10 टिप्पणियाँ:

ओमप्रकाश कश्यप said...

बहुत सुंदर, खूब...

Unknown said...

waah sundar shishu geet

Unknown said...

waah sundar shishu geet

विभूति" said...

bhaut hi sundar...

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सफ़दर हाशमी जी की याद दिलाई आपने
सुंदर कविता के लिए आभार

S.N SHUKLA said...

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

Bharat Bhushan said...

कमाल का बाल गीत. पहली बार सफ़दर हाशमी को पढ़ा है. आपका आभार.

रुनझुन said...

मज़ेदार गीत.. मैंने अपने छोटे भाई को सुनाई उसे भी खूब मज़ा आया...

Maheshwari kaneri said...

सुन्दर और मज़ेदार गीत....

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

छोटी सी नन्ही सी प्यारी रचना मन को भायी
भ्रमर 5