ता ता थैया
राजा चौरसिया
एक चिरैया, है गौरैया,
खूब फुदकती और चहकती,
उड़ती दिनभर मगर न थकती,
गाए, नाचे ता ता थैया।
कभी द्वार पर कभी तार पर,
मन को रहती नहीं हार कर,
जाती पनघट ताल तलैया।
बड़ी सयानी, श्रम की रानी,
कभी न मॉंगे, दाना पानी।
इसे निहारे, छोटा भैया।
जोड़े तिनका, अपने मन का,
लाड प्यार, पाती जन जन का।
उड़े फुर्र से बैठ मड़ैया।
5 टिप्पणियाँ:
बेहद खूबसूरत बालकविता..बहुत संगीतमय ...
बहुत सुंदर बालकविता....
बेहद खूबसूरत बालकविता|धन्यवाद|
सुंदर कविता।
Abhi bhi mujhe baal kavita vahi aanand deti hai ...sundar
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