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उठो धरा के अमर सपूतो पुनः नया निर्माण करो -द्वारिका प्रसाद माहेश्‍वरी


उठो धरा के अमर सपूतो पुनः नया निर्माण करो ।
जन-जन के जीवन में फिर से नई स्फूर्ति, नव प्राण भरो।

नया प्रात है, नई बात है, नई किरण है, ज्योति नई।
नई उमंगें, नई तरंगे, नई आस है, साँस नई ।

युग-युग के मुरझे सुमनों में, नई-नई मुसकान भरो।

डाल-डाल पर बैठ विहग कुछ नए स्वरों में गाते हैं।
गुन-गुन-गुन-गुन करते भौंरे मस्त हुए मँडराते हैं ।

नवयुग की नूतन वीणा में नया राग, नवगान भरो।

कली-कली खिल रही इधर वह फूल-फूल मुस्काया है।
धरती माँ की आज हो रही नई सुनहरी काया है ।

नूतन मंगलमयी ध्वनियों से गुंजित जग-उद्यान करो।

सरस्वती का पावन मंदिर यह संपत्ति तुम्हारी है ।
तुम में से हर बालक इसका रक्षक और पुजारी है।

शत-शत दीपक जला ज्ञान के नवयुग का आह्वान करो।
उठो धरा के अमर सपूतो, पुनः नया निर्माण करो । 

 -द्वारिका प्रसाद माहेश्‍वरी-

4 टिप्पणियाँ:

Amit Chandra said...

नया प्रात है, नई बात है, नई किरण है, ज्योति नई।
नई उमंगें, नई तरंगे, नई आस है, साँस नई ।
सच है नए साल मे नए जोश और नए उमंग के साथ सभी को साथ लेकर चलते हुए नया आगाज करे। बेहतरीन रचना।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय द्वारिका प्रसाद माहेश्‍वरी जी की कालजयी रचना के लिए उनकी लेखनी को प्रणाम ! शत शत वंदन !!
और …
प्रिय बंधुवर ज़ाकिर अली ‘रजनीश’जी के प्रति आभार !

आपका कार्य प्रशंसनीय है … साधुवाद !

~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

पूनम श्रीवास्तव said...

Adaraniya Maheshvari ji ki itani mahatvapoorna rachana padhvane ke liye abhar....sachmuch Balman par bal gito ka adbhut sankalan taiyar ho raha hai.
Poonam

kunnu said...

Prernaprad Kavita.