प्यासी प्यासी सोन चिरैया पानी दो।
बादल भैया प्यासी बुढिया पानी दो।
पिछली बार बहुत कम बरसे तरसे हम।
अब की बार बरसना जमके हरषें हम।
प्यासी प्यासी नीम निबरिया पानी दो।
प्यासी प्यासी सोन चिरैया पानी दो।
उठा घटाऍं काली काली अड़ अड़ धम।
गरज गरज के बरसो ऑंगन झर झर झम।
प्यासी प्यासी ताल मछरिया पानी दो।
प्यासी प्यासी सोन चिरैया पानी दो।
झूलों का मौसम आएगा झूलेंगे।
पेंग बढ़ाके आसमान को छू लेंगे।
प्यासी प्यासी श्याम कुयलिया पानी दो।
प्यासी प्यासी सोन चिरैया पानी दो।
चित्र साभार- http://openfsm.net
5 टिप्पणियाँ:
यह केवल बाल मन की ही नहीं...ताप में जलते हर मन की वाणी है....
बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर रचना.....
पानी पानी.......... लाजवाब रचना है, umadti ghumadti barsaat की chaah तो सभी को होती है...........
sundr aur samyik rchna.
बढ़िया रचना!
Pani do bhai pani do...jaldi se nani do.
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