-विनोदचंद्र पाण्डेय ‘विनोद’-
ये जामुन काले काले हैं।
जब बादल जल बरसाते हैं, ये पेड़ों पर पक जाते हैं,
भौरों सा रूप दिखाते हैं, करते सबको मतवाले हैं।
होते सब खूब रसीले हैं, बैंगनी, लाल या नीले हैं,
सब के सब रंग रंगीले हैं, सुंदर सुकुमार निराले हैं।
देखो, डालों पर लटके हैं, गिरते जब लगते झटके हैं,
बच्चे खाते डट डट के हैं, बेचते इन्हें फलवाले हैं।
मानो रस में ही पगते हैं, सबको ही अच्छे लगते हैं,
ले भी लो बिलकुल सस्ते हैं, सब पर जादू सा डाले हैं।
4 टिप्पणियाँ:
badhiya hai jabuna ........bahut sundar
जामुन की मीठी खटास याद दिला दी।
Aapne bachpan ki yaad karaa di jab jamun beshne waala gali mein aata thaa aur aawaaz lagaata thaa gaa gaa kar........."JAAMUN KAALE KAALE AAJ"
अपकी इस बाल कविता में सचमुच जामुन का स्वाद है।
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