![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhty0mVSEngfGa87JBtkDch6tqD150rbN-PcRNX46t3Ce9EES697tSups6qfWepNIM2nieZmq6yJI0_IsB-Ug9VOjqbHJtR5S7clGv-PTqnDhJtVcMbrSrKpUBEIeXOEgdJy7nrPvb058I/s400/The-Earth-is-a-House-Print-C10008580.jpeg)
-विष्णुकांत पाण्डेय-
मोटर पर चढ़ बन्दर निकला,
करने सैर-सपाटा।
चौराहे पर खड़ी पुलिस को
उसने रूक कर डांटा।
बेवकूफ हट जा आगे से,
आती मेरी गाड़ी।
दबकर मर जाएगा नाहक,
कैसा निपट अनाड़ी।
मोटर पर चढ़ बन्दर निकला,
करने सैर-सपाटा।
चौराहे पर खड़ी पुलिस को
उसने रूक कर डांटा।
बेवकूफ हट जा आगे से,
आती मेरी गाड़ी।
दबकर मर जाएगा नाहक,
कैसा निपट अनाड़ी।
4 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर प्रस्तुति!
अरे वाह, मजा आ गया।
शिशुगीतों में विष्णुकांत पाण्डेय जी का जवाब नहीं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Post a Comment