गुडिया रानी हुई सयानी
सुरेश सपन
मेरी गुडिया रानी देखो, जब से हुई सयानी।
घर भर में करती फिरती है नई नई शैतानी।
मम्मी जब खाना लाती है, इधर उधर छिप जाती है।
ऑंख बचाकर दूध मलाई झटपट चट कर जाती है।
पकड़े जाने पर हंसती है, शैतानों की नानी।
घर भर में करती फिरती है नई नई शैतानी।
घर भर में करती फिरती है नई नई शैतानी।
पहन के चश्मा दादी जी का, सब पर रौब जमाती है।
दादा जी की छड़ी दिखाकर, बच्चों को धमकाती है।
नहीं मानती बात किसी की, करती है मनमानी।
घर भर में करती फिरती है नई नई शैतानी।
घर भर में करती फिरती है नई नई शैतानी।
पढ़ने में भी तेज बहुत है, पहला नम्बर पाती है।
खेल कूद में सबसे आगे, रहकर मेडल लाती है।
उसकी बुद्धि पर होती है, हम सबको हैरानी।
घर भर में करती फिरती है नई नई शैतानी।
घर भर में करती फिरती है नई नई शैतानी।
16 टिप्पणियाँ:
बहुत बढ़िया...
गुडिया रानी तो ऐसी ही होती हैं और ऐसे ही होनी चाहिए
जब बच्चे पढने लिखने में अच्छे हों तो उनकी शैतानी भी अच्छी लगती है| धन्यवाद|
प्रिय जाकिर,
आखिर में बुद्धि... में मामला गड़बड़ा गया, पर कविता अच्छी है और एकदम बालमन और संवेदना में डूबकर लिखी गई है।
बालमन में इसे पढ़ना सुखकर लगा।
तुम्हारे प्रश्नों के उत्तर देना शुरू कर दिया है। उम्मीद है, बहुत समय नहीं लूँगा। सवाल अच्छे हैं। उन पर कुछ कहना मुझे भी अच्छा लगेगा।
फालोअर वाली तुम्हारी बात सही थी। एकदम। आज देखता हूँ, वह समस्या अपने आप हल हो गई।
सस्नेह, प्र.म.
ये तो बहुत सुंदर गीत है।
प्रायमरी के पाठ्य पुस्तकों में शामिल किए जाने लायक गीत है यह।
सुरेश सपन जी को बधाई।
बहुत सुंदर बाल गीत।
बार-बार गाने का मन करता है।
बाल जीवन की सहज अभिव्यक्ति।
अरे ये तो मेरी कहानी
पहन के चश्मा दादी जी का, सब पर रौब जमाती है।
दादा जी की छड़ी दिखाकर, बच्चों को धमकाती है।
नहीं मानती बात किसी की, करती है मनमानी।
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण गीत ! बेहतरीन प्रस्तुती!
apni see kahani...badiya gudiya rani...sukriya
are aap to bahut achchha likhte hai kya en kavito ki books bhi publish hoti hai
किरन जी, ये सुरेश सपन जी की कविता है।
वैसे मैंने 151 बाल कविताओं के नाम से एक किताब भी सम्पादित की है।
kitti pyari kavita hai!!! :-)
बहुत ही सुन्दर और प्यारा-प्यारा गीत है …. लगता है कही ये मै तो नहीं….
बाल मन का सहज स्वाभाविक गीत .बधाई !
बच्चों के लिए यह भी -
अ से अनार आ से आम ,
बच्चों कर लो अपना काम ,
इ से इमली ई से ईख ,
मोहन भैया कुछ तो सीख .
मम्मी देती रोज़ ये सीख .
Post a Comment