बहुत खा चुका टोस्ट, पकौड़े, आलू भरे परांठे।
ऊब गया जी मेरा अब तो, इनको खाते-खाते।।
खीर मलाई, तिल का लडडू, कब से नहीं है खाया।
मक्के की रोटी खाने को भी है मन ललचाया।।
शहद में चुपड़ी रोटी या फिर दूध जलेबी खाऊं।
कितना अच्छा लगता मटठा, आखिर कैसे पाऊं??
मूंगफली की पपड़ी खाऊं, हलवा मेवे वाला।
दूध में भीगे मीठे चावल का है स्वाद निराला।।
नहीं चाहिए मुझको पिज्जा, बर्गर, चाऊमिन।
मुंहमॉंगी चीजों से मम्मी, मेरा भरो टिफिन।।
-डा0 फहीम अहमद
3 टिप्पणियाँ:
मूंगफली की पपड़ी खाऊं, हलवा मेवे वाला।
दूध में भीगे मीठे चावल का है स्वाद निराला।।
"इतनी प्यारी प्यारी स्वादिष्ट चीजों से भला बच्चों क्या बडो का भी मन ललचा जाएगा...क्रष्णा की मनमोहक तस्वीर और प्यारी कविता.."
Regards
अच्छा है ।
बच्चों की जेन्यूइन प्राब्लम को रेखांकित करती कविता।
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S.B.A. TSALIIM.
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