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...आओ खेलें होली।


आओ खेलें होली

-कृष्‍णेश्‍वर डींगर

 

आओ बनाएँ टोली,
हिल-मिल खेलें होली।

रंगों से भर झोली,
हाथों में ले रोली।

जमकर करें ठिठोली,
बचें न भोला-भोली।

घर-घर बने रंगोली,
कोठी हो या खोली।

कोई भाषा या बोली,
मिल-‍जुल खेलें होली।

मूस जी मुसटन्‍डा...

मूस जी मुसटन्‍डा

-कृष्‍णेश्‍वर डींगर


मूस ही मुस्‍टंडा,
लिये हाथ में डंडा।

बिल्‍ली बोली म्‍याऊँ,
किस चूहे को खाऊँ।

मूस ही मुस्‍टंडा,
गिरा हाथ से डंडा।

बिल्‍ली जी के आगे,
पूँछ दबाकर भागे।

मूस ही मुस्‍टंडा,
रह गया बाहर डंडा।

घुस गये जाकर बिल में,
चूहों की महफिल में।

रंग बदलने में मोटू जी, गिरगिटान के भाई।

 
गिरगिटान के भाई।
-कृष्‍णेश्‍वर डींगर 

कभी पहनते कुर्ता टोपी, 
कभी सूट नेक टाई। 
रंग बदलने में मोटू जी, 
गिरगिटान के भाई। 
कभी हमारी टीम पकड़ कर, 
बैट्स मैन बन जाते। 
कभी हमारे ही विरोध में, 
बॉलर बन कर आते। 
कोई उनको कहता मोटू, 
कोई कहता बबलू। 
कोई उनको कहता गोलू, 
मैं कहता दल-बदलू।