हालत मेरी खस्ता है
-सूर्य कुमार पाण्डेय
टीचर जी, ओ टीचर जी,
हालत मेरी खस्ता है।
के जी टू में पढ़ती हूँ,
टू केजी का बस्ता है।
चलूँ सड़क पर रिक्शा वाला,
मुझे देख कर हँसता है।
एक सवारी और लाद लो,
ताने मुझपर कसता है।
बोझ किताबों का कम करिए,
बड़ी दूर का रस्ता है।
नन्हें फूलों पर क्यों रक्खा,
यह भारी गुलदस्ता है।
टीचर जी, ओ टीचर जी,
हालत मेरी खस्ता है।