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...आओ खेलें होली।


आओ खेलें होली

-कृष्‍णेश्‍वर डींगर

 

आओ बनाएँ टोली,
हिल-मिल खेलें होली।

रंगों से भर झोली,
हाथों में ले रोली।

जमकर करें ठिठोली,
बचें न भोला-भोली।

घर-घर बने रंगोली,
कोठी हो या खोली।

कोई भाषा या बोली,
मिल-‍जुल खेलें होली।

9 टिप्पणियाँ:

India Darpan said...

बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,
इंडिया दर्पण की ओर से होली की अग्रिम शुभकामनाएँ।

दिगम्बर नासवा said...

होली पे लाजवाब रचना ...

समयचक्र said...

बढ़िया प्रस्तुति
होली पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...

Drobcek said...
This comment has been removed by a blog administrator.
मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही सुन्दर रचना.
***** happy holi*****

Monika Jain said...

Happy Holi :)

virendra sharma said...

भाव और अर्थ से संसिक्त ,बढ़िया रचना ,मेल बढ़ाती होली

virendra sharma said...

घर-घर बने रंगोली,
कोठी हो या खोली।

कोई भाषा या बोली,
मिल-‍जुल खेलें होली।
जन मन को रंगता एकता बोध का गीत .

meenakshi verma said...

acha likhte ho aap :)