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बिल्‍ली बोली चूहा से आओ बाँध दूँ राखी...

आओ बाँध दूँ राखी

बिल्ली बोली चूहा भय्या,
दे दो मुझको माफ़ी
आज पर्व है रक्षाबंधन,
आओ बांध दूँ राखी

बोला चूहा हाथ जोड़कर,
बहना अलबेली
तुम हो राजा भोज, और
मैं ठहरा गंगू तेली

राजा के मैं बनूँ बराबर
मेरी नहीं है इच्छा
घर जाने को सूर्पनखाजी
मांग रहा हूँ भिक्षा

सुनकर के यह भड़क उठी
बिल्ली ने पंजा मारा
होशियार था चूहा लेकिन
हो गया नौ-दो-ग्यारा।।
 

- जाकिर अलीरजनीश

24 टिप्पणियाँ:

SANDEEP PANWAR said...

राखी के बहाने एक चूहे को मरवा रहे हो।

पी के शर्मा said...

बहुत अच्‍छी बाल कविता, वाह .... मजा आ गया

S.N SHUKLA said...

khoobsoorat
भारतीय स्वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं .

Shalini kaushik said...

सुन्दर प्रस्तुति एक ओर ज्ञानी बातें तो एक और बाल मन कमल है .बहुत सुन्दर प्रस्तुति

Chaitanyaa Sharma said...

प्यारी..... मजेदार कविता

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

Bharat Bhushan said...

बहुत ही प्यारी बाल-कविता.

virendra sharma said...

बोला चूहा हाथ जोड़कर,
ओ बहना अलबेली।जाकिर भाई बेहद का सुन्दर मनोहर ,गेय बाल गीत अति सुन्दर मनोहर बालमन लुभाऊ ,......बोली बिल्ली "मेरा पेट हाउ ,मैं न जानू काऊ "
तुम हो राजा भोज, और
मैं ठहरा गंगू तेली। ब्लॉग पर आपकी फौरी दस्तक के लिए बहुत बहुत शुक्रिया .
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
http://sb.samwaad.com/

रविवार, २१ अगस्त २०११
सरकारी "हाथ "डिसपोज़ेबिल दस्ताना ".

http://veerubhai1947.blogspot.com/

सुधाकल्प said...

कविता बहुत अच्छी !बालमन कि अनुरूप ।
सुधा भार्गव

Anonymous said...

मजेदार कविता

दीनदयाल शर्मा said...

बहुत अच्‍छी बाल कविता, वाह जाकिर भाई ....

Darshan Lal Baweja said...

बहुत अच्‍छी बाल कविता

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

Vah Vah, sundar kavita hai. abhar

अभिषेक मिश्र said...

अच्छी लगी कविता.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत ही रोचक बाल कविता...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बढ़िया बाल कविता ...

मोहम्‍मद शमीम said...

हिन्‍दी में शिशुगीत के नाम पर अक्‍सर ही बेसिरपैर की कल्‍पनाएं और ऊल जलूल शब्‍दावली ही पढने को मिलती है। आमतौर से उनमें ध्‍वन्‍यात्‍मक लय ही प्रमुख रहती है। मैंने पहली बार हिन्‍दी में ऐसा शिशुगीत देखा है, जिसमें इन सब चीजों के साथ जानकारी, मुहावरों और पौराणिक संदर्भों का इतना सुंदर प्रयोग किया गया है। मेरे विचार से यह हिन्‍दी में अब लिखे गये श्रेष्‍ठतम शिशुगीतों में से एक है। आपको बहुत बहुत बधाई।


-मो0 शमीम,

भोपाल, मध्‍य प्रदेश

shyam gupta said...

घर जाने को सूर्पनखाजी
मांग रहा हूँ भिक्षा।-----iskaa kaheen koee arth nikalataa hai kyaa....???

डॉ. नागेश पाण्‍डेय 'संजय' said...

बाल कविता में जबरदस्ती मुझसे स्वीकार नहीं होती. मात्र तुकबंदी के नाम पर लोग भाषा से खिलबाड़ करते हैं .ग्यारह को ग्यारा लिखना किस नवलेखन/ प्रयोग का प्रतीक है. क्या इसका उत्तर आप विनम्रता पूर्वक दे सकते हैं?
(मेल से प्राप्‍त)

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

नागेश जी,

जहां तक 'ग्‍यारह' और 'ग्‍यारा' का प्रश्‍न है, पता नहीं आपको ये बात क्‍यों खटक रही है? आपके इस वाक्‍य को पढते हुए मेरे दिमाग में तत्‍काल
रूप से रामचरित मानस की अनगिनत चौपाइयां गूंज उठी हैं, जहां अपनी जरूरत के अनुसार गोस्‍वामी जी ने शब्‍दों को जरूरत के अनुसार परिवर्तित किया है (यदि आप कहें तो उदाहरण दूं)।
मेरी जानकारी के अनुसार आधुनिक कवि भी इस तरह की सुविधा का उपयोग अपनी कविताओं में खूब करते हैं। उर्दू गजल में तो एक ही शब्‍द को वज़्न की जरूरत के अनुसार 'एक' और 'इक' के रूप में पढ़ना बहुत आम बात है।
और अगर आपने ध्‍यान दिया हो, तो यह कविता बच्‍चों के लिए है। बाल मनोविज्ञान की पहली शर्त है कि आपको बच्‍चों के लिए लिखते समय बच्‍चा
बनना पड़ता है। और मेरी समझ से शिशुगीत का आनंद लेने वाले बच्‍चे भी 'ग्‍यारह' को 'ग्‍यारा' ही कहते हैं। इस दृष्टि से भी इसमें कोई बुराई नहीं दिखती।
आशा है, इतने से आप संतुष्‍ट हो गये होंगे और भविष्‍य में भी अपने अनमोल सुझावों से इस नाचीज की रचनाओं को समृद्ध करने का सौभाग्‍य प्रदान करते रहेंगे।

prerna argal said...

बहुत ही शानदार कविता /बधाई आपको /मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया ./

virendra sharma said...

सुनकर के यह भड़क उठी
बिल्ली ने पंजा मारा।
होशियार था चूहा लेकिन
हो गया नौ-दो-ग्यारा।।
होना पड़ता है जी नौ दो ग्यारह ,जान बची और लाखों पाए ,लौट के मूषक घर को आए ....बहुत बढ़िया है डॉ भाई जाकिर ....कृपया यहाँ भी पधारें -
सोमवार, 27 अगस्त २०१२/
ram ram bhai
अतिशय रीढ़ वक्रता (Scoliosis) का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली में
http://veerubhai1947.blogspot.com/

Yashwant R. B. Mathur said...

आज 27/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

रुनझुन said...

ही-ही-ही.... बहुत ही मज़ेदार कविता !!!... बिल्ली मौसी बेचारी तो हाथ मलती ही रह गयी.... :))