जंगल में घुड़दौड़
जंगल में घुड़दौड़ हुई तो पहुँचे घोड़े बीस।
धुन का पक्का एक गधा भी पहुँचा पहन कमीज।
खुद को घोड़ों संग देख गदहे ने मुँह को खोला।
भड़क उठे घोड़े जब उसने ढ़ेचूँ - ढ़ेचूँ बोला।
घोड़ों के सरदार ने कहा. सुनिए ओ श्रीमान।
गधा हमारे साथ रहे, ये हम सबका अपमान।
पीला, लाल किए मुँह घोड़े गये रेस से बाहर।
गदहे भैया बड़ी शान से दौड़े पूँछ उठाकर।
हिम्मत हारे नहीं गधे जी मेडल लेकर आए।
झूठी शान दिखाकर घोड़े बेमतलब पछताए।
- ज़ाकिर अली 'रजनीश'
मॉडरेटर- लज़ीज़ खाना, सर्प संसार
जंगल में घुड़दौड़ हुई तो पहुँचे घोड़े बीस।
धुन का पक्का एक गधा भी पहुँचा पहन कमीज।
खुद को घोड़ों संग देख गदहे ने मुँह को खोला।
भड़क उठे घोड़े जब उसने ढ़ेचूँ - ढ़ेचूँ बोला।
घोड़ों के सरदार ने कहा. सुनिए ओ श्रीमान।
गधा हमारे साथ रहे, ये हम सबका अपमान।
पीला, लाल किए मुँह घोड़े गये रेस से बाहर।
गदहे भैया बड़ी शान से दौड़े पूँछ उठाकर।
हिम्मत हारे नहीं गधे जी मेडल लेकर आए।
झूठी शान दिखाकर घोड़े बेमतलब पछताए।
- ज़ाकिर अली 'रजनीश'
मॉडरेटर- लज़ीज़ खाना, सर्प संसार
13 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर प्रेरणादायक कविता| धन्यवाद|
बहुत सुन्दर...
वाह ... क्या बात है ... गधा अपने आप में कम नहीं ...
वाह बहुत खूब बहुत बढ़िया वाकईन गधा अपने आप में कम नहीं होता शायद हम ही उसे गलत समझते है :)
समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
बहुत सुन्दर लिखा है अपने बालमन के अनुरूप. मैंने बिना वक़्त खोये अपनी बेटी को सुनाया और उसे काफी पसंद भी आया.
धन्यवाद
पसंद आया.विजयादशमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
NICE.
--
Happy Dushara.
VIJAYA-DASHMI KEE SHUBHKAMNAYEN.
--
MOBILE SE TIPPANI DE RAHA HU.
ISLIYE ROMAN ME COMMENT DE RAHA HU.
Net nahi chal raha hai.
वाह , सरल , सुंदर और अदभुत ..बुलबुल को पढाऊगा
Bahut pyari rachna....
Bhai wah.
Es yug mein Gadhe hi jitenge.
Ghode to ghudki karte rahenge
हिम्मत हारे नहीं गधे जी मेडल लेकर आए।
झूठी शान दिखाकर घोड़े बेमतलब पछताए।
मजेदार शिशुगीत और प्रेरणादायी भी ...बहुत बढ़िया
bahut pyari rachna prernadayak avum bachchon ko lubha lene mein saksham.
shubhkamnayen
bahut hi acchi kavita hai...
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